ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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खोज है कल की हमें तो वह पल कहाँ होगा,
कल सुबह फिर आज होगा,कल कहाँ होगा।
वह समय है यत्न से थमता नहीं क्षण भर,
काल चलता ही रहा आगे कि पीछे कर
अंक भर कर रख सको न बांध रस्सी से,
क्यों बड़ा बनने खड़ा सत्तर ये अस्सी से
भाव की तब भवन बनती थीर मन जब हो,
कर्म फिसलन से भरी समतल कहाँ होगा।
कल सुबह फिर…
तान लो चाहे हजारों पाल नौका में,
चाहतों को छोड़ मन क्या क्या नहीं चाहे
सिंधु लहर पर घर होगा संगमरमर से,
क्या रुका मौज तूफ़ां जाल जर्जर से
सोच जल ठहरा हुआ कंकर उछालो मत,
इन तरंगों में कभी हलचल कहाँ होगा।
कल सुबह फिर…
आज कर मंतव्य पूरे,कल नहीं छोड़ें,
अपरिमित इच्छा हटा दे,अवसाद को तोड़ें
लक्ष्य पर नजरें गड़ा नित पथ पकड़ कर चल,
राह हो विपरीत डगमग मन कभी ना कर।
कर चुनौती सामना संघर्ष स्वीकारो,
साध कर मन को चलें,छल-बल कहाँ होगा।
कल सुबह…आज होगा,कल कहाँ होगा॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।