श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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हे माता तुलसी धूप दीप लेकर मैं,करती हूँ आरती,
कष्ट हरो माँ हम नारीयों का,गुहार लगाती है भारती।
आप परम पूजनीय कहलाती,हो विष्णु की प्यारी,
अनेक मेवा-मिष्ठानों में,आपका एक पत्र है भारी।
व्रत करे एकादशी,तुलसी पत्र से करे प्रथम जलपान,
पाप सभी कट जाता है,जो करते हैं ऐसा ही विधान।
हे माँ तुलसी हर क्षेत्र में हरा-भरा आपका है स्थान,
कुरुक्षेत्र में भी जन्म लेती हो,आप कितनी महान।
हे माता तुलसी,हम सब नारी को ऐसा वरदान दीजिए,
अखण्ड सौभाग्य हो हम बहनों का,महादान दीजिए।
हे पूजनीय माँ तुलसी,आपकी महिमा तो अपरम्पार है,
हे विष्णु प्रिया हिन्दुओं के घर में आपका अधिकार है।
अपने भक्तों के आँगन की पवित्र शोभा आप बढ़ाती हो,
अन्त समय आने पर हे माता,आप मुक्ति भी दिलाती हो।
आप ऊँच-नीच जात-पात का भेद नहीं कभी भी करती हो,
हर हिन्दू नर-नारी का दिया जल आप ग्रहण करती हो।
अहोभाग्य मानव है,जो अन्त क्षण आपका पत्र खाया है,
अधम नीच पापी को भी,आपने बैकुण्ठ में बैठाया है।
शारीरिक कष्ट रोगों से भी,आप पवित्र करने वाली हो,
हे माता,साधु-संत कहते हैं-मुक्ति दिलाने वाली हो॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।