कुल पृष्ठ दर्शन : 23

You are currently viewing काँवड़िया

काँवड़िया

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
*******************************************

रचनाशिल्प: २११ २११-२११-२११-२११-२११- २११-२११, २ लघु के स्थान पर १ गुरु या २ गुरु के स्थान पर २ लघु अमान्य…

है तुममें बल काँवड़िया, चल क्या तुमको कह राह रुकावट।
बोल करो बम छोड़ सभी गम, भाग खडे सब होय थकावट॥

मेघ झरे झम धोर घटा घन है महिना अति ही शुभ सावन,
काँवड़ ले हरिद्वार चलो, भर लो गगरी‌ जल से निज पावन।
धीरज लो धर जीवन में, हरि शंभु महेश खड़े पथ आगम,
नाम जपो शिवशंकर का मन में भरते प्रभु प्रेम तरावट॥
है तुममें बल…

भक्ति भरा मन शक्ति भरा तन‌, है नहिं पूनम रात अमावश,
रात्रि यहाँ शिव की सुख कारक, घोप घटा बरसे दिन पावस।
मेघ लगे कि लगाय फिरे अपने नयना तल कालिख काजर,
है महिमा अभिषेक करे शिव, जीवन में थिर देत बसावट॥
है तुममें बल…

विद्युत से चमके घुमड़े, डरना मत बैरन है यह बादल,
मारग में रक्षित करती जननी, जग माँ ढक के निज आँचल।
वे हरपौड़ चला रख काँवड़ नीरज-सा दमके जल भीतर,
पूजन की जन गौर गजानन, सुंदर है सब साज सजावट॥
है तुममें बल…

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १ अक्टूबर १९६८ को हुआ है और जांजगीर-चाम्पा (छग) में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ एम.ए. तक शिक्षित होकर ब्राम्हण समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य (कविता, छंद, ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नित्य आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो विभिन्न संस्था-संस्थानों से आपने ४०० प्रशंसा-पत्र आदि हासिल किए हैं।आपके नाम प्रकाशित ६ एकल संग्रह-वीरानों के बागबां, साँस-साँस पर पहरे, अंजुरी भर समुंदर, कलयुग, निशिगंधा, शेफालिका, नील-नलीनी हैं तो ४५ साझा संग्रह में सहभागिता है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्त शिक्षिका श्रीमती तिवारी की लेखनी का उद्देश्य समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।