तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
*****************************************
एक कामकाजी महिला,
उठती है सवेरे
मुँह अँधरे,
तैयार जो करना है
बच्चों व पति का लंच बॉक्स,
देनी है सास-ससुर को
अदरक वाली चाय,
फिर बनाना है
सबके लिए,
मनचाहा नाश्ता।
घड़ी की सुइयों के साथ
चलते हैं उसके क़दम,
झट-पट तैयार होकर
नौ बजे भागती है,
चौराहे से बस जो
पकड़नी है,
भागते-दौड़ते
पहुँच जाती है
ऑफ़िस दस बजे।
छः बजे तक,
फाइलों में सर खपाकर
जब काम से
थकी-हारी
घर लौटती है,
तब अपनी सारी थकान
टांग देती है
जिम्मेवारियों की खूंटी पर,
सूखे होंठों पर
अनचाही मुस्कराहट लिए,
उलझे बालों को
अपनी बेबसी की
उंगलियों से संवारती,
अपने साड़ी के पल्लू को
कमर में खोंसती,
चल पड़ती है
हमेशा की तरह
फिर से।
परिवार के प्रति,
अपना फ़र्ज़ निभाने॥
परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।