कुल पृष्ठ दर्शन : 349

आशंका

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
***********************************************
“मम्मी शुभी स्कूल से आ गई..!” ठीक साढ़े तीन पर अरिजीत का फोन आ जाता था।
“नहीं बेटा अभी नहीं आई..”
“घड़ी देखिए,पौने चार हो रहे हैं।थोड़ी देर बाद फिर फोन..बार-बार बेटे के फोन से अब सुधा जी को भी घबराहट होने लगी…क्योंकि,उनकी पोती स्कूल से रोज साढ़े तीन पर आती थीl कभी-कभार ही पांच-सात मिनिट ही आगे-पीछे होता था..और बेटा जो कहीं दूर पदस्थ था नियम से अपनी बच्ची से बात करता था..l पढ़ाई की वजह से उसका परिवार उन्हीं के साथ रह रहा था।
सुधा जी की बहू भी एक स्कूल में शिक्षिका थी..और उनके साथ उनकी छोटी बेटी जाती थी..वह लोग साढ़े चार बजे तक आ जाते थे ..रोज का नियम था,कि अर्जित साढ़े तीन पर फोन लगाकर पहले बड़ी बेटी के बारे में पूछता था..और फिर अपनी पत्नी से बात करता था..। आज जब उसने फोन लगाया तो शुभी नहीं आ पाई थी..उसने वहां से घबराई हुई आवाज में पूछा-“मम्मी गेट पर देख कर आइए,उसकी बस आ गई क्या ?” यंत्र चलित सी सुधा जी सोसाइटी के गेट की और चल पड़ी।
गेटकीपर से पूछा,उसने बोला-“बस आई भी,और गई भी।”
अब तो सुधा जी के हाथ-पाँव फूलने लगे.. रोज शहर में छोटी बच्चियों के साथ…अरे नहीं,नहीं… इस विचार को उन्होंने तुरंत अपने दिमाग से निकाला।
इतने में फिर से अर्जित का फोन आया, उन्होंने कहा-“बेटा मैं तुम्हारे पापा को उठाती हूँ और स्कूल भेजती हूँ।”
तब तक सामने से शुभी आती हुई दिखी।सारे कपड़े धूल से सने हुए बाल उड़े हुए, घुटने से खून भी निकल रहा था। आते ही दादी से लिपटकर रोने लगी। दादी का तो घबराहट के मारे बुरा हाल हो गया,उन्हें लगा पता नहीं बच्ची के साथ क्या अनिष्ट हुआ। बार-बार उसे झकझोर कर पूछती रही-“बेटा क्या हुआ ? क्यों इतनी देर लगी…? तुम कहां थी तुम्हारी बस तो निकल गई..”
ढेरों सवाल एकसाथ उन्होंने उससे पूछ डाले ..बच्ची और जोर से रोने लगी।
“बता ना क्या हुआ..?” समझ नहीं आया क्या करूं,तभी बच्ची ने शिकायती अंदाज़ में बोला -“दादी ४० नम्बर की बस निकल गई थी तो ४१ नम्बर की बस में बिठा दिया..पूरे शहर के बच्चों को उतारने के बाद मुझे उतारा..वो भी नुक्कड़ पर दौड़ कर आ रही थी तो गिर पड़ी..मुझे बहुत तेज भूख लग रही है..खून भी निकल रहा है कहकर वह सुधा जी से लिपट गई..।” सुधा जी की जान में जान आई। हे भगवान तेरा शुक्र है।

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl

Leave a Reply