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काश! ऐसा हो जाता…

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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फूल बोलते पत्ते गाते,
पौधे हमसे हाथ मिलाते
चिड़िया चलती पैदल-पैदल,
हम सब उसको मित्र बनाते।

पर्वत पर टापू बन जाते,
अम्बर में हम महल बनाते
धरती अम्बर जुड़ी सड़क हो,
जिस पर हम सायकिल चलाते।

पेड़ों पर टॉफ़ी लटकी हो,
खेतों में बिस्कुट उग आते
फ़्रूटी की बारिश होती यदि,
हम सब बोतल में भर लाते।

नानी-दादी लेकर बस्ता,
पढ़ने को स्कूल में जाते।
घर आने पर बैठ साथ में,
हम उनका होमवर्क कराते॥