हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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तमन्ना के तराजू में, रिश्तों का राशन कभी तोला नहीं करते
गैरों की महफिल में, अपनों के राज कभी खोला नहीं करते
क्योंकि, यहाँ हर दीवार के पीछे छुपा है कोई कान लगाकर,
“दीवारों के भी कान होते हैं” कहते हैं, सच बोला नहीं करते।
यहाँ होती हैं बहुत-सी बातें, इशारों ही इशारों में बहुत बार,
लोग झेंपते हैं यह सब पर, फिर भी कुछ बोला नहीं करते
मुहब्बत के बाजार में, हो जाता है नीलाम पर्दे में सब कुछ,
लोग जानते हैं सब-कुछ, पर पर्दे को कभी खोला नहीं करते।
बदज़ुबानी तो बर्दाश्त नहीं है, मुहब्बत के रिश्ते में किसी को,
पर प्रेम की फटकार से तो यहाँ, कभी रिश्ते टूटा नहीं करते
ये प्यार के पेड़ हमेशा, विश्वास की जमीन पर उगते हैं साहब,
शक, नफ़रत, चालाकियों की, माटी-पत्थर में उगा नहीं करते।
बड़ी लज़ीज़ फितरत होती है, ये मुलायम मुहब्बत भी साहब,
होती सबके दिलो-दिमाग में है, पर इजहार किया नहीं करते
दिल ही दिल में लेते हैं मौज सब, इस नायाब रसीले रस का,
पर दुनिया के बाज़ार में, कोई इसका जाम पीया नहीं करते।
काश! डूब जाता दुनिया का हर सरोकार, मुहब्बत के जाम में,
तो शायद ये नफ़रत के झगड़े, दुनिया में हुआ ही नहीं करते।
काश! एक बार लग जाती मुहब्बत के नशे की लत सबको,
फिर तो शायद हम इस नशे की गिरफ्त से छूटा नहीं करते॥