संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
************************************************
कितना-कुछ बदल गया अपने हिंदुस्तान में,
इसमें खुलकर हो रहा हर चीज का व्यापार।
जहां देखो,वही पाओगे विज्ञापन और दामों की सूची,
जिस पर दर्शाया गया है हर चीज का दाम।
क्या मंदिर-क्या मस्जिद और क्या गुरुद्वारा,
कोई भी नहीं बच पाया इस व्यापार से।
छोटे-बड़े उत्सव या हो मरण मौत का कोई अनुष्ठान,
सबका देना पड़ेगा तुमको यहां पर दाम।
कितना-कुछ बदल गया अपने हिंदुस्तान मेंll
बहुत फल-फूल रहा है शादी कराने का व्यापार,
इसको भी बना लिया अब लोगों ने कारोबार।
लड़का-लड़की दोनों को ये लोग मिलाते हैं,
और बदले में दोनों परिवारों से कमीशन पाते हैं।
यदि बन गई दोनों में संबंध होने की बात,
तब ये महाशय सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बन जाते हैं।
और दोनों परिवार के लोगों को बहुत भाते हैं,
भले ही बदले में अच्छा खासा कमीशन लेते हैं।
पर सच में सबसे बड़े रिश्तेदार यही कहलाते हैं,
कितना-कुछ बदल गया अपने हिंदुस्तान मेंll
अब तो सामाजिक कार्यों का भी होने लगा व्यापार,
जो समाजसेवा के कार्य समझे जाते थे।
अब उनका भी होने लगा व्यापार,
क्योंकि नाम के लिए सिर्फ पैसा देना होता है।
कार्यों से नहीं है ऐसे लोगों का कोई सरोकार,
कितना निन्दनीय कार्य,फिर भी फल-फूल रहा है ये व्यापार।
कितना-कुछ बदल गया अपने हिंदुस्तान मेंll
परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।
Comments are closed.