कुल पृष्ठ दर्शन : 146

You are currently viewing क्षणांशों की धारदार कथात्मक अभिव्यक्ति है लघुकथा-श्री द्विवेदी

क्षणांशों की धारदार कथात्मक अभिव्यक्ति है लघुकथा-श्री द्विवेदी

सम्मेलन…

पटना (बिहार)।

क्षणांशों की धारदार कथात्मक अभिव्यक्ति का नाम है लघुकथा। मौजूदा दौर में लघुकथा साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय व महत्वपूर्ण विधा है, मगर इसकी सार्थकता तभी है जब यह कम-से-कम शब्दों में जीवन और समाज का तीखा सच उद्घाटित करे तथा मानवीय संवेदना को झकझोर कर हमें अंतर्मंथन को विवश करे।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिष्ठित साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने यह बात कही। अवसर रहा भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में ऑनलाइन लघुकथा सम्मेलन का। आपने कहा कि साहित्यकार सिद्धेश्वर जी के नेतृत्व में परिषद् ने नवोदित, युवा एवं प्रतिष्ठित लघुकथाकारों को जोड़ने व विधा की सर्जनात्मकता को अभिनव आयाम देने में सकारात्मक भूमिका का निर्वाह किया है, जो अभिनंदनीय है।
अध्यक्षीय टिप्पणी में साहित्यकार डॉ. मिथिलेश दीक्षित (लखनऊ) ने कहा कि
भाव, भाषा और प्रस्तुति के सुन्दर समन्वय में ही प्रभावपूर्ण लघुकथा की सार्थकता है। यह जीवन के क्षण विशेष की गहन अनुभूति का सांकेतिक चित्रण है। ‘सदी का सच’ निश्चित ही कालजयी लघुकथा है। भाव बोध, सटीक शब्द संयोजन तथा प्रस्तुतिकरण की दृष्टि से द्विवेदी जी की लघुकथाओं का लघुकथा साहित्य में विशिष्ट स्थान है।
संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने श्री द्विवेदी की नवीन लघुकथा कृति ‘सदी का सच’ पर समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए कहा कि संग्रह में प्रकाशित-दृष्टि भेद, ना लिखने का कारण, सिलसिला, अबला और अनुत्तरित प्रश्न आदि कुछ ऐसी ही लघुकथाएं हैं, जिनके माध्यम से गुजरे हुए समाज एवं वर्तमान समाज की विसंगतियों से, और अनेक चेहरों के मुखौटों से हमारा आमना-सामना होता है। कहा जा सकता है कि समकालीन लघुकथा में बहुआयामी पकड़ वाले जीवंत लघुकथाकार भगवती प्रसाद द्विवेदी हैं।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में देशभर से चुने हुए नए-पुराने लघुकथाकारों ने अपनी सारगर्भित प्रतिनिधि लघुकथाओं का पाठ किया। अनिता रश्मि, ऋचा वर्मा, अंजू निगम, पुष्प रंजन और वंदना सहाय आदि ने पाठ किया। धन्यवाद उपाध्यक्ष राज प्रिया रानी ने व्यक्त किया।

Leave a Reply