राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस:लोकतंत्र की नयी सुबह (२६ जनवरी २०२५ विशेष)…
धरा रंगी है तीन रंग में,
ऊँचा रहे तिरंगा प्यारा
लोकतंत्र की नई सुबह में,
गूँज उठे जय गान हमारा।
विश्व पटल पर छाए गीता,
साहित्य, कला का हो गुणगान
नारी शक्ति की गुणवत्ता का,
हो जग में गौरवशाली मान
धीर, वीर, गंभीर बनें सब,
संकल्पों का सजे पिटारा।
गूँज उठे जय गान हमारा…
रोटी, कपड़ा और मकान का,
हिसाब बराबर हो सामान-सा
सबकी मिलकर मने दिवाली,
रात किसी की ना हो काली,
धन-धान्य से वसुधा लहके,
बासंती-जग रंग जाए सारा।
गूँज उठे जय गान हमारा…
सबका जीवन सरल, सहज हो,
सादा जीवन उच्च विचार हो
राष्ट्र प्रेम भरपूर सभी में,
एक-दूजे में खूब प्यार हो।
अपना भारत दमके ऐसे,
आसमान में ज्यों ध्रुव तारा॥
गूँज उठे जय गान हमारा…
परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।