जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में।
केसर का रस घोल दिया है घाटी में॥
दफा तीन सौ सत्तर किसने लगवाई,
सोच समझकर ही हमने यह हटवाई।
इसका कितना मोल दिया है घाटी में,
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में…॥
महबूबा या फारूक इसको कोस रहे,
आतंकों को दशकों से जो पोस रहे।
जंगी ताला खोल दिया है घाटी में,
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में…॥
नाती-परनाती नेहरू के रोते हैं,
अब्दुल्ला के पोते आपा खोते हैं।
सच ने धावा बोल दिया है घाटी में,
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में…॥
इस धारा ने लाखों सैनिक सटके थे,
भूतकाल की गलती में हम अटके थे।
आतंकों को छोल दिया हैं घाटी में,
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में…॥
वो भी भारत माँ को अब तो पूजेंगे,
वन्दे मातरम नारे अब तो गूंजेंगे।
केतु तिरंगा झोल दिया है घाटी में,
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में…॥