प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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आयु बीतती समय संग, अब जितनी रह गई हाथ
मन धरती प्रभु नाम बीज बो, प्रभु भजन जल साथ।
जगत से जाना होगा भाई, समय घड़ी हर साॅंस गिन रही,
आएगा काल कसाई, आएगा काल कसाई।
साॅंस की दौलत लुटा के तूने,
सब संपत्ति बनाई (रे तूने)
सब संपत्ति बनाई…
किसे पता कब कौन घड़ी तय,
लेगा सबसे विदाई (जग में)
लेगा सबसे विदाई।
कर्म की फसलें बो कर जाता,
आ आ करे कटाई (प्राणी)
आ आ करे कटाई…
पाप कमा प्रभु शीश नवाए,
कोई नहीं सुनवाई (तेरी)
कोई नहीं सुनवाई।
नाम जपन की लगन लगी न,
जन्म विफल हो जाई (तेरा)
जन्म विफल हो जाई…
भजन टालकर भोग को करता,
बुरी है टाल-टलाई (ये तो)
बुरी है टाल-टलाई।
भोग जवानी बिता, बुढ़ापा
भजन न हो सच्चाई (समझ रे)
भजन न हो सच्चाई…
जप शिव नाम सजग अब हो जा,
कर ले कुछ भरपाई (रे मानव)
कर ले कुछ भरपाई।
जन्म की डोली में चढ़ते तेरी,
अर्थी सजी सजाई (सच में)
अर्थी सजी सजाई…
जी की मत कह, ना ही सुन तू,
कर ले नाम रटाई (क्षण-क्षण)
कर ले नाम रटाई।
पूरी शक्ति लगा के शिव भज,
निद्रा छोड़ जम्हाई (पगले)
निद्रा छोड़ जम्हाई…
दाँव लगा शिव नाम को रट के,
निश्चित भव तर जाई (रट-रट)
निश्चित भव तर जाई।
नाम विराजें नित शिव मुख में,
ये उनकी करुणाई (सदा से)
ये उनकी करुणाई…
महाकाल शिव त्रिकालदर्शी,
हो जा अब शरणाई (मन से)
हो जा अब शरणाई।
जगत से जाना होगा भाई,
समय घड़ी हर साॅंस गिन रही।
आएगा काल कसाई (लेने),
आएगा काल कसाई॥