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जहर कभी अमृत नहीं बन सकता

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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शराब से केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व-आय होने से शराब पर पाबन्दी नहीं लगा सकती है। इसके कई फायदे सरकार को हैं-राजस्व, अस्पताल, चिकित्सक, दवाई झगड़ा, हत्याएं, पुलिस, वकील, कर्मचारी आदि को शायद काम मिलता है। पेट्रोल, रेलवे, बस को भी फायदा होता है। सरकार को शराब देश हित में जरुरी भी लगती है।
विश्व में शराब, कबाब और शबाब का चलन सनातनी है, और आगे भी चलता रहेगा। कारण ये व्यसन माने जाते हैं, दूसरी बात कि इनकी आदत बहुत मुश्किल से छूटती है। शराब की १ बून्द में हजारों जीव की हिंसा होती है। मद्य पान करने वाला अपना विवेक खो देता है। वह नशे में माता, पत्नी, बहिन और पुत्री में विवेक नहीं रख पाता। नित्य समाचारों में यह जानकारी मिलती है कि, कोई भी अपराध, हत्या, पारिवारिक विवादों में, मांसाहारी होटल्स में शराबियों का झगड़ा होता है, और शराब के वशीभूत होकर जिंदगीभर कष्ट उठाना पड़ता है। कभी-कभी तो जेल में पूरी जिंदगी बिताना पड़ती है। शराबी से कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहता और उन ऊपर कोई भरोसा नहीं करता, ये सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत पहलू हैं।
इसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव के कारण कई असाध्य बीमारियों से ग्रसित होने पर जिंदगी दुखों के साथ दवाओं, चिकित्सकों और अस्पताल के चक्कर में धन की हानि के साथ पारिवारिक सुखों से भी वंचित होना पड़ता है। विडंबना देखिए कि, कैंसर जैसे असाध्य रोग से ग्रसित होने के बाद जिंदगी भर कमाया हुआ धन भी काम नहीं आता और और वह कम पड़ता है। इसके कारण आए कष्टों का कोई ठिकाना नहीं, व्यक्तिगत जीवन नरक बन जाता है।
तीसरा कारण कि, धार्मिक दृष्टि से भी कोई भी धरम शराब को मान्यता नहीं देता है। यह तामसिक मानी जाती है और अनेक जीवों की हत्या कर बनाई जाती है। यदि आप शराब बनते देख लें तो जिंदगी में कभी नहीं पिएंगे।
इस नुकसान के बाद बाद भी भारत के हर हिस्से में शराब का सेवन किया जाता है।अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि २-३ पेग लगाने से कोई नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि फायदा ही होता है। ऐसा दावा कई शोध में भी किया जा चुका है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसे लोगों को चौंकाने वाला खुलासा किया है। संगठन ने कहा है कि, शराब पीने की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है, और इसकी १ बूंद भी ७ प्रकार के कैंसर बना सकती है। इसमें मुँह का कैंसर, गले का कैंसर, इसोफेगस कैंसर, लीवर कैंसर, वॉइस बॉक्स का कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और फीमेल ब्रेस्ट कैंसर भी शामिल हैं।
एल्कोहॉल और कैंसर पर संगठन के तथ्य के मुताबिक-शराब पीने से होने वाला मुख्य कैंसर पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग होता है। २०१८ में यूरोपियन भाग में शराब पीने से महिलाओं की छाती को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा और अधिकतर स्तन कैंसर के मामले देखने को मिले। ऐसे ही २०१८ में यूरोपियन भाग में शराब पीने से पुरुषों को सबसे ज्यादा आंतों और मलाशय का कैंसर होता दिखा है।
अगर आप शराब के साथ धूम्रपान भी करते हैं, तो सुधर जाइए, क्योंकि संगठन कहता है कि इससे कैंसर होने का खतरा ५ गुना अधिक होता है। शराब के कारण कैंसर की रोकथाम के लिए संगठन कुछ जरूरी कदम उठाने की सलाह देता है, जिसमें कीमत बढ़ाना, सभी स्तर पर मार्केटिंग बंद करना, उपलब्धता कम करना आदि है, पर सबसे जरूरी और असरदार उपाय स्व नियंत्रण है।

यह मिथ्या धारणा है कि कम मात्रा में सीमित या अच्छी गुणवत्ता वाली और महंगी शराब हानिकारक नहीं होती है। यह जहर है और जहर कभी अमृत नहीं बन सकता।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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