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मन मेरा पावस बिखराता

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
कोरबा(छत्तीसगढ़)
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सावन की रिमझिम बदली-सा मन मेरा पावस बिखराता।
कभी घटा घनघोर, कभी यह मन मयूर जैसा हो जाता॥

जब चाहत अगँड़ाई लेती, बंधन को यह नहीं मानता,
लहरों के हर आमंत्रण को, दिल साहिल का प्यार जानता।
मुखरित होकर फिर मधुमासी, मन पलाश खिलता मुस्काता,
सावन की रिमझिम…॥

बनी हुई क्यों सीमाएं, सहमी-सहमी दिशा-दिशाएं,
नेह निमंत्रण की राहों में कदम-कदम पर हैं बाधाएं।
प्रहरी बनकर चातक पंछी, प्यासे दिल की पीर सुनाता,
सावन की रिमझिम…॥

मधुर कसक दिल में हैआई, सपनों का संसार रंगीला,
पूरे यौवन पर मधुऋत है, आया फागुन मास छबीला।
वासंती मदमस्त हवा में, मन का पंछी उड़ता जाता,
सावन की रिमझिम…॥

बनकर ओस अश्रु की बूंदें, छा जाती मधुमय मौसम पर,
नर्तन करती मधुऋत जैसे, साँसों की मीठी सरगम पर।
ठाँव नहीं दिखती राहत की, यह मौसम मन को भरमाता,
सावन की रिमझिम…॥

राग मल्हारी छेड़ रहा अब पावस का उत्सव मधुरिम,
चलती मंद-मंद पुरवाई उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम।
घट-घट अनुरागी चौमासा प्रेमिल खुशियों को सरसाता,
सावन की रिमझिम…॥

परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ स्थित कोरबा जिले के विद्युत नगर में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”