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ज़िन्दगी में ज़िन्दगी

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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क्यों ज़िन्दगी पर बहस हो रही है यहां ?
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ढूंढना होगा,
बतलाना और समझाना होगा
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ढूंढना ही,
सही मतलब है ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी का नाम भी है इसी में।
बचपन की यादें अब न रखो यारों याद,
बस यह तो गुजर गई है
फिर कहां आएगी,
ज़िन्दगी यहां हरपल,
घटती चली जा रही है।
कोई खुशियां लिए जी रहा है तो,
कोई ज़िन्दगी को बदतमीज
बतला रहा है
ज़िन्दगी यूं ही नहीं दिखला रही है अपनी खूबसूरती,
दोस्तों के बिना कोई मोल नहीं है
अनमोल तेरी यह दोस्ती।
कोई कहता है,
यह शतरंज का खेल है
कोई कहता है नहीं कोई इसका मेल है।
यह ज़िन्दगी भी क्या चीज है,
कहीं बेबसी तो कहीं बेताबी
जिससे परहेज नहीं यह अज़ीज़ है,
ज़िन्दगी के तरकश में कहीं सुगंध है तो
कहीं परहेज भी दुर्गंध से होता है यहां।
मत उतावलापन दिखला,
सब करते हैं परहेज़ तुम्हारे इस रंग से
ज़िन्दगी अब एक सफ़र में है यहां,
मत घबराना तुम यहां।
यह तो इसकी फितरत है,
इस ज़माने में यहां॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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