कुल पृष्ठ दर्शन : 416

You are currently viewing ‘जीवनदात्री’ कहलाती है सिर्फ़ स्त्री…

‘जीवनदात्री’ कहलाती है सिर्फ़ स्त्री…

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’
मुंबई (महाराष्ट्र)
*******************************************

स्त्री तुम महान हो,
सब गुणों की खान हो
माँ की ममता हो,
बेटी की निश्छलता हो
पत्नी का प्यार हो,
बहन का दुलार हो
मुसीबत में बलवान हो,
होंठों की मुस्कान हो
ईश्वर का वरदान हो,
स्त्री तुम महान हो।

जीवन का आधार हो,
देती नया मुक़ाम हो
घर का अभिमान हो,
सुख की ठंडी छाँव हो
अन्नपूर्णा का रूप हो,
दुर्गा-काली का रूप हो
सबके लिए मिसाल हो,
गुण-गौरव सम्मान हो
रचती नया इतिहास हो,
स्त्री तुम महान हो।

कल्पवृक्ष की छाया हो,
व्यापक रूप दिखाती हो
संस्कृति का आधार हो,
सभ्यता का नया मोड़ हो
आदर्श रूप बन जाती हो,
प्रेरणास्त्रोत कहलाती हो
आध्यात्मिकता सिखाती हो,
नित नव ऊर्जा का प्रतीक हो
प्रथम पूज्य स्वरूप हो,
स्त्री तुम महान हो।

रवि के समान तेजस्वी हो,
शशि के समान शीतल हो
पर्वत समान उन्नत हो,
समुद्र समान गंभीर हो
पृथ्वी-सी क्षमाशील हो,
राष्ट्र की निर्माता हो
परामर्शदात्री,शुभेच्छु हो,
प्रथम गुरु कहलाती हो
त्याग मूर्ति-सी पूजयनीय हो,
स्त्री तुम महान हो।

तुम बिन जीवन अपूर्ण है,
तुमसे मानव जाति अर्थपूर्ण है
तुम पूर्णता की मिसाल हो,
तुम फूल-सी कोमल हो
तुम काँटों की चुभन हो,
तुम धर्म-कर्म से बंधी हो
सबकी ख़ुशी का कारण हो,
ख़ुद के सपने क़ुर्बान करती हो।
सब्र बाण टूटे सब पर भारी हो,
स्त्री तुम महान हो॥

परिचय-डॉ. आशा वीरेंद्र कुमार मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘आस’ है। १९६२ में २७ फरवरी को वाराणसी में जन्म हुआ है। वर्तमान में आपका स्थाई निवास मुम्बई (महाराष्ट्र)में है। हिंदी,मराठी, अंग्रेज़ी भाषा की जानकार डॉ. मिश्रा ने एम.ए., एम.एड. सहित पीएच.-डी.(शिक्षा)की शिक्षा हासिल की है। आप सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत बालिका, महिला शिक्षण,स्वास्थ्य शिविर के आयोजन में सक्रियता से कार्यरत हैं। इनकी लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल,कविता एवं लेख है। कई समाचार पत्र में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। सम्मान-पुरस्कार में आपके खाते में राष्ट्रपति पुरस्कार(२०१२),महापौर पुरस्कार(२००५-बृहन्मुम्बई महानगर पालिका) सहित शिक्षण क्षेत्र में निबंध,वक्तृत्व, गायन,वाद-विवाद आदि अनेक क्षेत्रों में विभिन्न पुरस्कार दर्ज हैं। ‘आस’ की विशेष उपलब्धि-पाठ्य पुस्तक मंडल बालभारती (पुणे) महाराष्ट्र में अभ्यास क्रम सदस्य होना है। लेखनी का उद्देश्य-अपने विचारों से लोगों को अवगत कराना,वर्तमान विषयों की जानकारी देना,कल्पना शक्ति का विकास करना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद जी हैं।
प्रेरणापुंज-स्वप्रेरित हैं,तो विशेषज्ञता-शोध कार्य की है। डॉ. मिश्रा का जीवन लक्ष्य-लोगों को सही कार्य करने के लिए प्रेरित करना,महिला शिक्षण पर विशेष बल,ज्ञानवर्धक जानकारियों का प्रसार व जिज्ञासु प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा सहज,सरल व अपनत्व से भरी हुई भाषा है।’

Leave a Reply