कुल पृष्ठ दर्शन : 321

You are currently viewing थप्पड़

थप्पड़

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
***************************************************

मानव और प्रकृति का,तालमेल अनोखा है,
स्वार्थी होकर मानव,अब तो करता धोखा है
काटते जाता तरु और कानन,उजाड़ रहा धरती का आँगन,
भरते जाता ताल और पोखर,नर घूम रहा नर-भक्षी होकर।
कहे ‘उमेश’ कि हे मानव तुम,छोड़ दो अपनी अकड़,
नहीं तो होश उड़ जाएगा,लगेगा कुदरत का थप्पड़॥

प्रकृति के थप्पड़ से भैया,कोई आवाज़ नहीं आती है,
होता प्रहार कुदरत का तो,दुनिया हैरान रह जाती है
देखो आज मानव की करनी से,अनेक बीमारी होती हैं,
कभी हुआ हैजा-प्लेग,आज ‘कोरोना’ से दुनिया रोती है
जीना है सुखमय जीवन तो,सुन लो मेरी एक बानी,
जीवों पर तुम दया करो,दुखी होए ना कोई प्राणी।
कहे उमेश सत्य-अहिंसा की,राह लो तुम पकड़,
नहीं तो होश उड़ जाएगा,लगेगा प्रकृति का थप्पड़॥

मत छेड़ो प्रकृति को तुम,तालमेल बनाए रखना,
इंसान हो तुम,अपने अंदर इंसानियत बनाये रखना
श्रेष्ठ जीव नर है धरा का,श्रेष्ठता को बनाए रखना,
हिंद धरा है राम कृष्ण की,मर्यादा को बनाए रखना
आदर करना गुरु-मात-पिता का,इनसे बड़ा ना कोई,
सेवा धरम जो हरदम राखे,जनम सफल तब होई।
कहे ‘उमेश’ कि मिलकर रहो,रिश्तों को लो जकड़,
नहीं तो होश उड़ जाएगा,लगेगा प्रकृति का थप्पड़॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

Leave a Reply