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दृष्टिकोण का बड़ा महत्व और सम्बन्ध है जीवन में

शीलाबड़ोदिया ‘शीलू’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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किसी भी विषय को किस नजर से देखा जाता है, उसमें दृष्टिकोण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है, जिससे कि देखने वाले व्यक्ति का विषय के प्रति नजरिया बदल जाता है। यहाँ विषय से तात्पर्य कोई वस्तु, विषय, स्थान या घटना से भी हो सकता है। दृष्टिकोण पर शिक्षा का भी महत्व पड़ता है। यदि व्यक्ति अशिक्षित है, तो सोच और दृष्टिकोण संकुचित होगा, क्योंकि उसमें ज्ञान की कमी होती है। इसलिए उसकी सोच विस्तृत नहीं होती है, लेकिन व्यक्ति शिक्षित है, तो उसके देखने-सोचने का नजरिया विस्तृत होता है। अपने ज्ञान और जानकारी के अनुसार उसका दृष्टिकोण, देखने का नजरिया विस्तृत होता है और सोचने का तरीका अलग होता है। उदाहरण के लिए यदि आधा गिलास पानी किसी को दिया जाता है, तो उसकी नजर पर निर्भर करता है कि, वह आधा खाली गिलास देखता है या आधा भरा देखता है। उसकी नजर से ही उसका नजरिया बदल जाता है। यदि वह व्यक्ति सोचता है कि, मुझे आधा गिलास खाली पानी दिया तो उसका नकारात्मक नजरिया होता है। वह व्यक्ति इस बात पर नाराज भी हो सकता है और अपमान समझकर उस बात का बुरा मान सकता है कि, कैसे लोग हैं कि एक गिलास पानी भी नहीं पिला सकते हैं। दूसरी तरफ अगर सकारात्मक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति को देखें तो वह सोचता है कि, मुझे आधा गिलास पानी दिया गया, कितने समझदार लोग हैं। यदि मेरी प्यास इतने कम पानी में बुझ जाती है, तो आधा गिलास पानी जो उन्होंने मुझे नहीं दिया है, वह फेंकने से बच गया। पानी की एक-एक बूँद कीमती होती है और सभी को पानी बचाना चाहिए। यह समझ इन लोगों में है, तो उसका सकारात्मक दृष्टिकोण या नजरिया होता है।

इसी प्रकार देखें तो लाल रंग की वस्तुएं कोई प्रेमी अगर देखेगा तो उसे उसमें प्रेम ही नजर आएगा, और कोई सामान्य व्यक्ति देखे, तो दूसरा अर्थ लगा सकता है, क्योंकि लाल रंग खतरे का भी निशान होता है। यह प्रेमी की नजर कभी भी नहीं ढूंढ पाएगी, उसे तो वहाँ प्रेम की निशानियाँ ही दिखेंगी।
कहने का अभिप्राय यह है कि, सकारात्मक दृष्टिकोण जीवन को जीने का नजरिया बदल देता है। वह हर किसी के जीवन में अच्छे, सकारात्मक और सकारात्मक होने की संभावना को हमेशा ढूंढता है और आसपास के लोगों को भी समझाता है। आत्मविश्वास से भरा होता है। जीवन में हर लड़ाई लड़ने के लिए सक्षम होता है और जीवन में ऊँचाइयों को प्राप्त करता है तथा दूसरे लोगों का भी सहयोग करके मार्गदर्शन कर सकता है।इसके विपरीत नकारात्मक दृष्टिकोण या नजरिया जिंदगी में उदासी और हताशा को जन्म देता है। व्यक्ति चिड़चिड़ा, कमजोर और आत्मविश्वासहीन बन जाता है। उसे ना स्वयं पर विश्वास होता है, ना वह किसी पर विश्वास कर पाता है। उसे हर जगह नकारात्मकता दिखाई देती है और जिंदगी में कुछ कर नहीं पाता है। एक अच्छी नजर और नजरिया व्यक्ति की उम्र एवं अनुभव पर भी निर्भर है। वह एक नजर में ही भाँप जाता है कि, व्यक्ति, वस्तु या विषय कैसा है, कौन है, कहाँ है, किससे संबंध रखता है और इसके क्या-क्या कारण, गुण-दोष, लाभ-हानि या परिणाम हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति के अनुभव भी बढ़ते जाते हैं और एक परिपक्व नजर व नजरिया हो जाता है या कहें कि पारखी नजर हो जाती है। एक दादी माँ यदि घर के लिए सामान खरीदने पोती के साथ जाती है, तो दोनों के नजर और नजरिए में जमीन आसमान का अंतर होता है। भले ही वह एक घर में एकसाथ रहती हैं। जब वह किसी मॉल में खरीददारी करेंगे, तो नहाने के साबुन पर नजर जाते ही दादी नीम वाला साबुन ले लेंगी और पोती नाक-मुँह सिकोड़कर बोलेगी, “दादी फिर वही पुराना नीम वाला साबुन।” एक ही वस्तु पर कैसे नजर और नजरिया बदल जाता है। अनुभवी लोगों को वह चीज उपयोगी लगती है, क्योंकि वह लंबे समय से उसे उपयोग कर रहे हैं, उसके लाभ-हानि जान चुके हैं, लेकिन युवा पीढ़ी की नजर में चटकीले रंग, सुंदरता और लुभावनी पैकिंग ही ज्यादा अच्छी होती है, क्योंकि वहाँ अनुभव वाला नजरिया नहीं होता है, जो माता-पिता या बुजुर्गों के पास होता है, उनका दृष्टिकोण अनुभव आधारित होता है। इस प्रकार नजर और नजरिए पर उम्र, अनुभव, शिक्षा और परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है। यह सब एक विशेष दृष्टिकोण पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

परिचय-शीला बड़ोदिया का साहित्यिक उपनाम ‘शीलू’ और निवास इंदौर (मप्र) में है। संसार में १ सितम्बर को आई शीला बड़ोदिया का जन्म स्थान इंदौर ही है। वर्तमान में स्थाई रूप से खंडवा रोड पर ही बसी हुई शीलू को हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा का ज्ञान है, जबकि बी.एस-सी., एम.ए., डी.एड. और बी.एड. शिक्षित हैं। शिक्षक के रूप में कार्यरत होकर आप सामाजिक गतिविधि में बालिका शिक्षा, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को समझाओ अभियान, पेड़ बचाओ अभियान एवं रोजगार उन्मुख कार्यक्रम में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, संस्मरण, गीत और जीवनी है। प्रकाशन के रूप में काव्य संग्रह (मेरी इक्यावन कविता) तथा १५ साझा संकलन में रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। इनको मिले सम्मान व पुरस्कार में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड सम्मान (साझा संकलन), विश्व संवाद केंद्र मालवा (मध्य प्रदेश) द्वारा सम्मान, कला स्तम्भ मध्य प्रदेश द्वारा सम्मान, भारत श्रीलंका सम्मिलित साहित्य सम्मान और अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति द्वारा प्रदत्त सम्मान आदि हैं। शीलू की विशेष उपलब्धि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में रचना का शामिल होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य साहित्य में उत्कृष्ट लेखन का प्रयास है। मुन्शी प्रेमचंद, निराला, तुलसीदास, सूरदास, अमृता प्रीतम इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज गुरु हैं। इनका जीवन लक्ष्य-हिन्दी साहित्य में कार्य व समाजसेवा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी रग-रग में बसी है।”