राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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मित्रता और जीवन…
आओ मैं करूँ आज बात उनकी,
जिनके हँसने से होती है सुबह
जिनके रोने से होती है शाम,
‘दोस्त’ है वह दूजा ना कोई नाम।
पढ़ने में मुझे वह उत्साहित करता,
खेलने में मुझे जिताकर वह हर्षाता
काम कभी ना मेरे अहित सोचता,
सदा प्रगतिशील वह मुझे बनाता।
अच्छे-बुरे या फिर हो अधूरे,
सभी राज खुलते इनके संग
संग हो वह तो बाजे मृदंग,
दोस्ती है एक ऐसा रंग।
जीवन में यह सबसे न्यारा है,
हर किसी से यह हमें प्यारा है
इसके बिना हम लगते अधूरे,
संग हो करवाते मेरे सपने पूरे।
जात-पात का नहीं बंधन इसमें,
इसमें नहीं अमीर-गरीब का राग
दोस्ती तो केवल दोस्ती है भाई,
जीवन की यह अनमोल कमाई।
दोस्त अगर हो बुरा भाई,
मत सोच होगा कुछ पूरा भाई
जीवन में छा जाएगा अंधकार,
सारा जीवन हो जाएगा बेकार।
आओ दोस्ती का गीत आज गाते हैं,
मर्म सभी को हम आज समझाते हैं।
दोस्त ही जीवन, दोस्त ही जीवन
आज बार-बार हम यही दोहराते हैं॥
परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।