हो यदि पाना चाहते,धन वैभव पद खास।
सुखी रखो माँ-बाप को,बनकर उनके दास॥
धन जग में सब कुछ नहीं,है यह सच्ची बात।
लेकिन धन बल के बिना,कटे नहीं दिन-रात॥
याचक को सुख दे सकूँ,धन हो इतना पास।
मेरे घर भी सुख रहे,करे शांति नित वास॥
सबको करना चाहिए,यथा शक्ति धन दान।
जिससे शोषित वर्ग का,हो जाये कल्याण॥
रखो गुप्त धन पास में,थोड़ा-बहुत सहेज।
आये आफत की घड़ी,लाज बचाये तेज॥
परिचय-विरेन्द्र कुमार साहू का जन्म १५ दिसम्बर १९८७ को बोड़राबांधा (राजिम) में हुआ हैl आपका वर्तमान निवास ग्राम-बोड़राबांधा,पोड़(पाण्डु का),जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़)हैl यही स्थाई निवास भी हैl छत्तीसगढ़ राज्य के श्री साहू ने एम.ए.(हिन्दी) और डी.पी.ई. की शिक्षा प्राप्त की हैl आप कार्यक्षेत्र में शिक्षक हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत स्वयं के समाज में सेवी हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,कविता हैl ब्लॉग पर भी सक्रिय लेखन करते हैंl वीरेंद्र साहू की लेखनी का उद्देश्य-भावों की अभिव्यक्ति से नवजागरण करना हैl