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धरा के बिना सब शून्य

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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पृथ्वी दिवस विशेष….

सपने देखनेवाले नहीं होते तब इस जहां में यहां,
जीवन में खुशहाली रहती नहीं,फिर मिलती कहां।

जमाने पर हम यहां कैसे एतबार करते रहते कब तक,
धरा ही नहीं रहती,तब यह मौका हमें मिलता कहां।

आज़ हम सब कोई मिलकर रहते हैं ख़ुशी से यहां,
धरा न रहती तो फिर हम सब यहां मिलते कब-कहां।

खुशियाँ बिखेरने वाले तंग गलियों में भी,
खूब धूम मचाते मस्ती करते रहते हैं यहां।

यह खुशनुमा माहौल में ढलने का तब हमें,
क्या मिलता मौका,जब धरा नहीं रहती यहां।

धरा के बिना सब कुछ शून्य सुनसान रहता तब यहां,
मस्तियों को मौके में बदलने की फुर्सत रहती तब कहां।

यहां ज़िन्दगी की खूब मस्तियाँ ही मस्तियाँ हैं,
धरा न होती तो मिलती यह खुशियाँ हमें कहां।

धरा का सुन्दर चित्रण आज़ किया जा रहा है खूब यहां,
इसके बिना कवि की कल्पना कैसे,फिर जिंदा दिखती कहां।

जन्नत में पहुंच गए हैं लगता है,
हम सब हरपल हर क्षण यहां।

नवीनतम गाथाएं कथाएं लोकोक्ति और किंवदंतियां,
हम सब मिलकर कैसे याद कर पाते कभी यहां।

बचपन मुरझाने से पहले सब कुछ दीदार हो जाता है यहां,
धरा न रहती तो क्या हम सब कल्पना कर सकते थे यहां।

खेलकूद,मस्ती और धमाल मचाने वाले कहां मिलते यहां,
अगर धरा नहीं होती तब यह कैसे मयस्सर होता यहां।

मुश्किलों से भरे हुए जीवन में सुख देने वाले मिलते कहां,
धरा न होती तो यह खुशनुमा रंग फिर हम सबको दिखता कहां॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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