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नन्हीं अभिलाषा

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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नहीं बनूँगा नेता-वेता,नहीं चाहिए वाह-वाही,
माँ मुझको बंदूक दिला दे बन जाऊँगा मैं सिपाही।

लूट रहे हैं सारे नेता खा रहे जनता का राशन,
काम नहीं है कुछ करना बस देते रहते हैं भाषण।

माँ मुझको कलम दिला दे बनूँ कलम का सिपाही,
नहीं बनूँगा नेता-वेता,नहीं चाहिए वाह-वाही…।

देश की खातिर मैं लडूंगा तानकर अपना सीना,
माँ की गोद में मरना,माँ की गोद में जीना।

कविताएँ मैं लिखा करूँगा भारत माँ की शान में,
स्वर में स्वर मिलाऊँगा जन गण मन के गान में।

कविता में मैं बात करूँगा भारत माँ के वीरों की,
देश की खातिर मिट गए उन चमकते हीरों की।

दीप जलाऊँगा पथ में जहाँ-जहाँ पर हो अँधेरा,
अज्ञानता के तम को मिटाकर लाऊँगा मैं सवेरा।

दूँगा शिक्षा उन बच्चों को जो करते दिनभर काम,
उनका जीवन हो सुखमय हृदय में हो अभिराम।

माँ मुझको शिक्षक बना दे बनूँ ज्ञानपथ का राही,
नहीं बनूँगा नेता-वेता,नहीं चाहिए वाह-वाही… ॥

परिचय– डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।

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