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अब वो बात कहाँ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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‘अब वो बात कहाँ…
तुम अपने ‘पिता’-से मजबूत कहाँ ?
मैं अपनी ‘माँ’-सी सुघड़ कहाँ ?
सुबह होती है,रात ढलती है,
तुम बदले,कुछ हम बदले
अब वो पहले जैसा दौर कहाँ ?
अब तुम अलग,मैं भी अलग!
एक ‘तय’ पर चलने लगे हम-तुम,
पहले वाली मिलने की अब हुलस कहाँ ?
‘सुख’ ने थोड़ा हमें हँसाया,
‘दुःख’ ने हमें थोड़ा तोड़ा
अब वो हाड़ तोड़ मेहनत!
वो पसीने बहाने का गुरुर अब कहाँ ?
सब कोई अपने थे,
अब अपनों का वो घरौंदा कहाँ…
अब वो लोग कहाँ ?,वो प्रीत कहाँ ?
वो ‘मीरा’ की भक्ति नहीं,
अब वो ‘राधा’-सा प्रेम कहाँ ?
कभी तुम ‘अर्जुन’ बने,कभी हम ‘कर्ण!’
अब वो पहले जैसा सारथी,
वो दानी कहाँ ?
तुममें थोड़े ‘द्वारकाधीश’ बसे हैं,
मुझमे थोड़ी ‘रुक्मणी’ है बाकी।
अब वो,पहले जैसे मनमीत कहाँ ?
बने कोई ‘सती’,बने कोई ‘शिव’,
‘सीता’ बने कोई,बने कोई ‘राम’
लेकिन अब वो त्याग की मूरत कहाँ ?
‘धरा’-सी सहनशीलता,
‘नभ’-सी व्यापकता नहीं किसी में…
अब संबंधों में वो मधुरता कहाँ,
अब बातों में वो परवाह कहाँ ?
चमक है दीपों में,मिठास है लड्डुओं में,
रंग है गुलाल में,रेशमी डोर है राखियों में
सजावट है घरों में,थाप है ढोलक में,
अब त्योहारों पर वो रौनक कहां ?
अब,’मिलन’ का वो व्यवहार कहां,
है ‘सुदामा’ भी यहाँ…
है ‘लक्ष्मण’ भी यहाँ,
न ‘कृष्ण’ जैसा मित्र यहां,
न ‘राम’ जैसा भाई यहां।
‘दोस्ती’ का वो ईमान खो गया,
‘अपनत्व’ का वो भाव खो गया
अब तो ‘धोखे’ का बाज़ार है यहाँ,
‘मुनाफे’ वाला ‘इकरार’ है यहाँ।
बची कहां वो,मासूमियत!
कहाँ रहा प्यार,अब यहाँ ?
वो ‘कुब्जा’-सी आत्मीयता,
एकलव्य-सी ‘निष्ठा’ कहाँ ?
था,वो गुजरा जमाना।
अब वो बात कहाँ..??

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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