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पुष्प वाटिका

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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लछिमन के संग श्री राम पहुँचे,
थी जहाँ पर वाटिका
संग स्थित के पहुँचीं सिया भी,
गौरी पूजन को वहाँ।

नूपुर की ध्वनि सुन मधुर,
छिप गये शीघ्र लतिका बीच वे
सौंदर्य देखा रूप का,
भाई के पीछे हो खड़े।

जब नयन दोनों के मिले,
एकटक रहे वे देखते
सुध-बुध वे भूले आये थे हम,
फूल लेने के लिए।

फिर चुन लिया एक-दूजे को,
मन में बहुत विश्वास था
वर माँग गिरिजा से सिया के,
हृदय मंजुल आस था।

प्रभु राम सीता के सहित,
दर्शन की मन में आस ले
हम सब हैं करते वंदना,
मन में बहुत विश्वास ले॥