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‘पेड़ से दोस्ती कोई करता नहीं…’

मंडला(मप्र)।

कोरोना काल भी कवियों की आवाज़ रोक न पाया और घर बैठे कवियों ने गूगल मीट पर कविताओं का आनन्द लिया। एक से बढ़कर एक रचनाएँ पढ़ी गई। बारिश की फुहारों के मध्य रोमांचित कवियों ने विविध रसों की कविताएं पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस कवि सम्मेलन के विशेष अतिथि धीरेन्द्र जोशी (महू) ने अतिथि उद्बोधन में कहा-गूगल मीट कवि सम्मेलन में आकर बड़ा अच्छा लगा। युवाओं को साहित्य के क्षेत्र में रत पाकर बहुत खुशी होती है-‘गीत गाया करो,गुनगुनाया करो। दर्द के पल मिले भूल जाया करो। जिस तरह कंटकों में सुमन हंस रहे,हर किसी हाल में मुस्कुराया करो।’
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के सुप्रसिद्ध कवि,लेखक प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे के पर्यावरण पर तरन्नुम में पेश मुक्तक बेहद सराहे गए-
‘पेड़ से दोस्ती,कोई करता नहीं,माँग धरती की कोई भी भरता नहीं। दर्द क़ुदरत का,बढ़ता ही तो जा रहा-कोई भी इसकी पीड़ा को हरता नहीं॥’
सरस्वती वंदना जितेन्द्र शिवहरे ने प्रस्तुत की। दिनेश भोपाली की ग़ज़ल सराही गई तो श्रृति मुखिया,डाॅ. वर्षा ‘गरिमा’,प्रिया सिंह नेगी,निधि अमित महोदय,रश्मि दुबे,प्रतिभा चन्द्र,सुनिल सरगम ,रामेश्वर पाल आदि कवियों ने भी काव्यपाठ किया।
संचालन सुनिल सरगम ने किया। आभार रश्मि दुबे ने माना।

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