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प्रेमचंद जी युग लेखक

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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मुंशी जी-कथा संवेदना के पितामह…

प्रेम चन्द साहित्य में, भारत की त़सवीर।
निर्धन, दीन, अनाथ की, लिखी किसानी पीर॥

सामाजिकी विडंबना, फैली रीति कुरीति।
चली सर्व हित लेखनी, रची न झूठी प्रीत॥

गाँव खेत खलिहान सब, ठकुर सुहाती मान।
गुरबत में ईमान का, पाठ लिखा गोदान॥

बूढ़ी काकी आज भी, झेल रही दुत्कार।
कफन, पूस की रात भी, अब भी है साकार॥

छुआछूत मिटती नहीं, जाति धर्म के द्वंद।
मुन्शी जी तुमने लिखा, हाँ बेशक निर्द्वंद॥

गिल्ली डंडा खेलते, गबन करे सरकार।
नमक दरोगा अफसरी, आज हुई दरकार॥

ऐसी रची कहानियाँ, पढ़िए निकले आह।
ईदगाह हामिद पढ़े, भाग्य अमीना वाह॥

उपन्यास सम्राट या, कह दो धनपत नाम।
प्रेम चंद्र मुंशी कहूँ, शत-शत बार प्रणाम॥

युग का लेखक मानते, हम सबके आदर्श।
उनकी यादों को करें, तन-मन यादें स्पर्श॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।