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फाइबर की कमी पर जागरूक रहें

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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फाइबर की कमी पेट ही नहीं, अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी खड़ी कर सकती है। फाइबर एक तरह का कार्बोहाइड्रेट ही है, जो पेट में आसानी से नहीं पचता है। ये कार्ब्स छोटे-छोटे कणों में टूट कर शकर के रूप शरीर में फाइबर की कमी होने पर घेरने लगते हैं।
शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए हमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज के अलावा फाइबर की जरूरत भी होती है। फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है, साथ ही यह भोजन को पाचन प्रणाली से निकलने में मदद करने के साथ-साथ जरूरी मात्रा में मल निकाल कर शरीर को स्वस्थ बनाता है। शरीर में फाइबर की कमी होने पर कई लक्षण दिखाई देते हैं, जबकि फाइबर की संतुलित मात्रा होने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। इसके अलावा कब्ज, पेट में गैस बनने की समस्या भी इसकी कमी से होती है।
आहार में फाइबर की कमी कब्ज का कारण बन सकती है। तब व्यक्ति को मल त्याग करने में परेशानी, गैस, अम्लता होने लगती है। कई दिनों तक ऐसी समस्या होने पर फाइबर की अच्छी मात्रा वाले खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करें।
फाइबर की कमी होने पर शकर स्तर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। मधुमेह के मरीजों में वजन बढ़ने की सबसे मुख्य वजह आहार में फाइबर की कमी होता है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से स्तर और वजन संतुलित रहता है।
फाइबर की कमी होने पर पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है और शरीर में वसा जमा होने लगती है। ये संकेत दर्शाता है, जिसे खान-पान से दूर कर सकते हैं। पाचन तंत्र पर भार बढ़ने के कारण शरीर की अधिकतर ऊर्जा खाने को पाचन करने में खर्च होने लगती है।इससे अक्सर थकान महसूस होती है। पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के लिए खीरा सहित साबुत अनाज की मात्रा बढ़ा लें। फल और सब्जियों का सेवन अधिक करें। इनके अलावा मटर, नाशपाती, ब्राउन राइस, मक्का, अलसी बीज, फूलगोभी, पत्ता गोभी, केला, संतरा, बादाम, अंजीर, सेब एवं प्याज में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, इसलिए इनका उपयोग कीजिए।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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