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सपने और आदमी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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सपने और
आदमी,
लगता है
एक-दूसरे के बिना
हैं अधूरे,
ये सपने ही हैं,
जो देते हैं
जीवन को,
अर्थ पूरे।
सपनों को,
पूरा करने के
लिए ही,
रहता है
आदमी जिन्दा,
सपने हैं
असीम आसमान,
और आदमी
मात्र एक परिन्दाll

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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