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सर्दी का क्या खूब मज़ा

रौशनी अरोड़ा ‘रश्मि’ 

दिल्ली

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वाह भई वाह! वाह भई वाह,
वाह भई वाह! वाह भई वाह
सर्दी का क्या खूब मज़ा,
वाह भई वाह! वाह भई वाह।

दाँत कँप-कँपा रहे हैं और,
हाथ भी ठिठुर रहे हैं
फिर भी हम तो सर्दी की,
ठंडी-ठंडी हवा में यारों
आग जलाकर मिल-जुल के
गर्मा-गरम मूंगफली खा रहे हैं।
है इसका भी यारों अपना,
सर्दी में क्या खूब मज़ा…॥

चाय-पकौड़े भी खा रहे हैं और,
गर्मा-गरम हलवा भी खा रहे हैं
रजाई में हम तो बैठे-बैठे यारों,
तरह-तरह के एक से बढ़ कर
एक पकवानों का मिल-जुल के,
इस सर्दी में मज़ा बस ले रहे हैं।
है इसका भी अलग अनोखा,
सर्दी में क्या खूब मज़ा…॥

गन्ने छील कर खा रहे हैं और,
स्कॉर्फ-स्वेटर भी बुन रहे हैं
इस ठंडी-ठंडी सर्दी में यारों,
पार्कों में हम बैठ मिल-जुल के
गर्मा-गरम सूरज की प्यारी-सी,
इस धूप का मज़ा ले रहे हैं।
है इस धूप का भी अपना,
सर्दी में क्या खूब मज़ा…॥

क्रिकेट भी खेल रहे हैं और,
बैडमिंटन भी खेल रहे हैं
जहाँ भी देखो सबके सब,
अपने-अपने स्तर से यारों
इस सर्दभरी ठंडी-ठंडी,
सर्दी का मज़ा ले रहे हैं।
है इन खेलों का भी यारों,
सर्दी में क्या खूब मज़ा…॥

वाह भई वाह! वाह भई वाह,
वाह भई वाह! वाह भई वाह।
सर्दी का क्या खूब मज़ा,
वाह भई वाह! वाह भई वाह॥

परिचय-रौशनी अरोड़ा का साहित्यिक नाम ‘रौशनी’ है। दिल्ली में निवासरत ‘रौशनी’ की जन्म तारीख ६ दिसम्बर १९७८ है। लेखिका और गायिका ‘रौशनी’ को दिल्ली में संगीत कार्यक्रम में गायिकी के लिए सम्मान प्राप्त हुआ है। इनकी रचनाएँ दैनिक अखबारों-पत्रिका में प्रकाशित होती रहती हैं। इन्हें कवि सम्मेलन में तथा ‘बज़्म-ए-हिंद संग्रह’ से भी सम्मानित किया गया है।

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