कुल पृष्ठ दर्शन : 20

You are currently viewing फिल्मों का यह संसार

फिल्मों का यह संसार

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************

दुनिया को दिखा रहा सब रंग,
वह दुःख-सुख सब संग
ऐसा ही है,
यही तो है फिल्मों का संसार।

कभी परदों के संग,
कभी टाकीजों का वह रंग
सिनेमाघर ही थे मनोरंजन के सुलभ साधन,
यही तो है फिल्मों का संसार।

कहीं संवादों का वैचारिक विचार,
कहीं गानों का सुर-मधुर संसार
फिल्मी दुनिया ने लोगों को जोड़ा ही था,
यही तो है फ़िल्मों का संसार।

रील में बसा हुआ या परिदृश्य,
जो परदों पर दिखाया जाता रहा
वहीं से बने कलाकार और सिनेमा का वह रंग,
यही तो है फिल्मों का संसार।

कभी टॉकीजों का दौर फिर टेलीविजन,
कभी वीसीआर तो वीडियो एल्बम का वह संसार
कैसेट की रील पर टेपरिकॉर्डर का वह दौर,
रेडियो पर गानों का शोर
यही तो है फिल्मों का संसार।

अब आधुनिकता का यह दौर है,
इसमें आनलाईन, यू ट्यूब व मल्टीप्लेक्स का अब नया दौर है।
फिल्मों की यह दुनिया कभी भी खत्म नहीं होगी,
यही तो है फिल्मों का संसार॥