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बाँहों का सिरहाना दूंगा

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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अच्छे संस्कारों का घराना दूंगा,
तुम्हें हर खुशी का नजराना दूंगा।

तेरी आँखों में आँसू न आने दूंगा,
तुझको बाँहों का सिरहाना दूंगा।

मुहब्बत करता हूँ बेपनाह तुमसे,
हर खुशी का तुम्हें ठिकाना दूंगा।

कभी शक ना करना मेरे गुरुर पर,
मुहब्बत का अमिट खजाना दूंगा।

तुझे पलकों पर बिठा कर रखूंगा,
मेरी वफ़ा का तुम्हें अफसाना दूंगा।

हर सितम सह लूंगा तेरी खातिर,
हर कमी का तुम्हें हर्जाना दूंगा।

ग़म न आए कभी जीवन में तुम्हारे,
हर खुशी से भरा वो ज़माना दूंगा॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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