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बात समझो

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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पेड़ लगाएं,
जीवन होगा न्यारा
ताप घटाएं।

बात समझो
संकट सिर पर
जान जाएगी।

पानी समाप्त
बिगड़ जाए चक्र
मनुज खत्म।

कटते तरु
सूखा बड़ा पड़ेगा
कौन बचेगा ?

दें योगदान
प्रकृति को समझें
पानी सहेजें।

ये जिंदगानी
रोकें बारिश पानी
बात सयानी।

वन ना काटें
मौज-मस्ती खातिर
पीड़ा को बाँटें।

मौसम चक्र
ईश्वर बना रहा
रहेगा फक्र।

वन बचाओ
मिलेगा हवा पानी
चलेगी साँस।

हो हरियाली
लगे मन को अच्छा
भाव सच्चा।

मन मोहते
आनंदित सैलानी
सुकून देते।

वन सौगात
करो सदुपयोग
वर्ना विनाश॥