अमल श्रीवास्तव
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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तन से कोमल,मन से निर्मल,
विधि ने नारी सृजन किया
सौम्य,शीलता,लज्जा का,
कितना सुंदर आवरण दिया।
देवी,सबला,शक्ति,कहकर,
देवों ने सम्मान दिया
पर मानव,दानव बन बैठा,
पल-पल ही अपमान किया।
आखिर क्या हो गया हमारे,
संस्कृति,रीति-रिवाजों को
किसने किया विषैला,कड़ुआ,
सुंदर-सभ्य समाजों को।
पश्चिम की बीमार सभ्यता,
चिकनी-चुपड़ी बोल रही
भोगों का व्यापार बढ़ाने,
जहर हवा में घोल रही।
कुछ नादान लड़कियां फंसती,
जाती हैं इन जालों में
कालिख पोत रही अनजाने,
सुर बाला के भालों में।
होड़ लगी है अंग प्रदर्शन,
करने की-करवाने की
तोड़ रही दम नारी-गरिमा,
टेढ़ी चाल जमाने की।
लक्ष्य कला,शिक्षा,समाज का,
अब तो केवल अर्थ हुआ
इसी अर्थ के बलबूते पर,
भोगों जन्य अनर्थ हुआ।
विज्ञापन,मॉडलिंग,मीडिया,
सभी जगह मादकता है
टीवी,फिल्म,सिनेमा,नाटक,
में दिखती कामुकता है।
घर,परिवार,समाज सब जगह,
भोग वृत्ति ही पनप रही
नर-नारी के बीच वासना,
की प्रवृत्ति ही झलक रही।
यौन जनित अपराध वृद्धि में,
ये सब तत्व सहायक हैं
नैतिकता के पावन पथ में,
सब संकट दायक हैं।
सभी जगह को स्वच्छ बनाने,
अब आगे बढ़ना होगा
नारी को अपने गौरव हित,
स्वयं पहल करना होगा।
पुरुष वर्ग को भी पशुता का,
विकृत भाव तजना होगा
नारी के प्रति निर्मल,पावन,
दिव्य भाव रखना होगा।
नर को नारी रक्षा का,
दायित्व दिया है विधना ने
इसीलिए तन से उसको,
मजबूत बनाया विधना ने।
पर पुरषों ने सृष्टि चक्र के,
इन नियमों को बदल दिया।
कली खिली,विकसित,निर विकसित,
जब चाहा-तब मसल दिया।
केवल कानूनों के भय से,
व्याधि न यह टलने वाली
जब तक सोच नहीं बदलेगी,
बात नहीं बनने वाली।
अगर ज्यादती होती है तो,
वक्त नहीं चुप रहने का
हो सशक्त,तुम शस्त्र उठाओ,
गया समय,अब सहने का।
बन रणचंडी,टूट पड़ो,
तुम इन वहशी शैतानों परl
रहम नहीं बिलकुल भी करना,
इन पापी बेईमानों परll
परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।