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बोझ डालना उचित नहीं

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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मृत्यु शोक जैसी पीड़ा से,
पीड़ित जो परिवार है
बोझ डालना भोज के लिए,
नहीं उचित व्यवहार है ?

मौत किसी की भी हो घर में
मातम सा छा जाता
कहीं बिलखते पिता-पुत्र तो,
कहीं बिलखती माता।
पत्नी के करुणा-क्रंदन से,
हृदय कांपता जाता
बहन सिसकती,पुत्री रोती,
तड़प रहा है भ्राता।
ऐसे में पकवान बनाने,
की बातें बेकार हैं
बोझ डालना भोज के लिए,
उचित नहीं व्यवहार है ?

विदा हो गया छोड़ जगत को,
जिनका पालन हारा
उनके घर के भीतर,बाहर,
पसर गया अंधियारा।।
चित्त-चेतना शून्य लग रहा,
वज्रपात का मारा।
ना जाने कब तक उबरेगा ?
इस दुःख से दुखियारा।
सोचो कैसा वक्त आ गया,
कैसी दुहरी मार है।
बोझ डालना भोज के लिए,
नहीं उचित व्यवहार है ?

जो धन बेटी के विवाह हित,
रक्खा बहुत सम्हालकर
पाई-पाई बचत की गई,
सारे खर्चे टाल कर।
उसी बचत पैसे से दसवीं,
तेरहवीं खिलवाते
और कहीं से कुछ उधार ले,
जीते जी मर जाते।
मत बनने दो ऐसी स्थिति,
जो अतिशय लाचार हैं।
बोझ डालना भोज के लिए,
नहीं उचित व्यवहार है ?

जो गरीब है वह अपने,
संसाधन भर से वहन करे
धनिक वर्ग भी व्यर्थ प्रदर्शन,
की प्रवृति का शमन करे।
पंडित और पुरोहित से भी,
यह अपील हम करते
श्रद्धा,शुचिता बनी रहे,
इतनी सतर्कता बरतें।
श्राद्ध-कर्म श्रद्धा से ही हो,
यही सत्य स्वीकार है।
बोझ डालना भोज के लिए,
उचित नहीं व्यवहार है॥

पाप-पुण्य ही हर प्राणी के,
साथ अंत में जाते।
सूक्ष्म तत्त्व ही,पितर लोक में,
सहगामी बन पाते।
श्रेष्ठ कर्म ही अंतरात्मा,
को आनंदित करते
धर्म-कृत्य,सेवा,जप-तप ही,
सदा साथ में रहते।
ऐसा मत माहौल बनाओ,
ज्यों उत्सव,त्यौहार है।
बोझ डालना भोज के लिए,
उचित नहीं व्यवहार है॥

जो समर्थ कुछ करना चाहें,
अगर मृतक के नाम से
नाम अमर करवा सकते हैं,
जनमंगल के काम से।
कुआं,बावड़ी,बाग,सरोवर,
देवालय बनवाओ
जो असहाय,पतित,वंचित हैं,
शिक्षा उन्हें दिलाओ।
और अनेकों श्रेष्ठ कार्य हैं,
जिनसे आत्मोधार है।
बोझ डालना भोज के लिए,
उचित नहीं व्यवहार है॥

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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