बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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सूर्यनारायण,
क्यों इतना कोप बरसा रहे हो
तवे-सी धरती जल उठी,
नीर भी सोख लिया
किस बात पर इतने,
बिगड़े जा रहे हो।
सूर्यनारायण,
बड़ी कठोरता दिखा रहे हो।
वृक्ष मानव ने काट लिए,
शेष बची ऊंची अट्टालिकाएं
पथिक थक हारकर,
जाए तो कहां जाए
क्रोध में जलकर,
धरा जला रहे हो।
सूर्यनारायण,
बड़ी कठोरता दिखा रहे हो॥
परिचय-पेशे से शिक्षक बबीता प्रजापति क़ा जन्म स्थान-झांसी और तारीख ३ अप्रैल १९८८ है। स्थाई रूप से झांसी में ही बसी हुई हैं। भाषा ज्ञान-हिंदी व इंग्लिश क़ा है। उत्तर प्रदेश के शहर झांसी की बबीता प्रजापति की पूर्ण शिक्षा बी.एस-सी. और एम.सी.ए. है। इनकी लेखन विधा-काव्य (गीत, शायरी और कविता) है। प्रकाशन के रूप में पुस्तक संग्रह-‘चंद शायरियां ज़िंदगी की’, ‘कुछ अनकहे अल्फ़ाज़'(शायरी) और ‘१२ कविताएं ज्ञान बढ़ाएं’ इनके नाम हैं। विविध पत्र-पत्रिका में भी इनकी रचनाओं को स्थान मिला है। दैनिक जागरण सहित अन्य मंच द्वारा भी आपको सम्मान दिए गए हैं। आपकी लेखनी क़ा उद्देश्य-हर प्रकार के विषयों को सम्मिलित करना है। मुंशी प्रेमचंद और सुकुमार कवि पंत को पसंदीदा लेखक मानने वाली बबीता प्रजापति के प्रेरणापुंज-पापा हैं। इनकी विशेषज्ञता-अपनी कविताओं और गीतों को खुद ही स्वर देना है। आपका जीवन लक्ष्य है कि मेरे लिखे और गाए गीत पूरा विश्व गुनगुनाए। हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मैं हिंदी से प्रेम करती हूँ।’