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बड़े भैया

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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माँ डाँटे,बापू डाँटे तब,प्यार जताते बड़े भैया,
गलती अपने सिर पर लेते,मुझे बचाते बड़े भैया।

देर रात तक करूँ पढ़ाई,पढ़ते-पढ़ते नींद लगे,
हाथों से उठा पलंग पर,मुझे लिटाते बड़े भैया।

कैरम,लूडो,शतरंज हो या छुप्पा-छुप्पी पिट्ठू खेल,
ऐसा कुछ करके हारें वे,मुझे जिताते बड़े भैया।

खेल-तमाशा सड़क पर कहीं,अगर उन्हें कभी दिख जाये,
मुझे साथ ले जाने फौरन,घर पर आते बड़े भैया।

मामा,मौसी,बुआ,बुलाये,गये अकेले कभी नहीं,
साथ मुझे ले गये हमेशा,खूब घुमाते बड़े भैया।

जब भी तबीयत बिगड़े मेरी,मेरे ही नजदीक रहें,
परची में लिखे समय पर,दवा खिलाते बड़े भैया।

टॉफी,बिस्कुट,चाट,पकौड़े,सब्जी,रोटी,खीर,पूड़ी,
मुझे साथ में लेकर के ही,मिलकर खाते बड़े भैया।

कभी मात-पिता से लगते,तो कभी दोस्त से लगते,
कभी गुरु बनकर के मुझको,दिशा दिखाते बड़े भैया॥

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