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गुरु बिना ज्ञान कहाँ

क्रिश बिस्वाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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जल जाता है वो दीए की तरह,
कई जीवन रोशन कर जाता है
कुछ इसी तरह से हर गुरु,
अपना फर्ज निभाता है।

अज्ञान को मिटा कर,
ज्ञान का दीपक जलाया है
गुरु कृपा से मैंने,
ये अनमोल मुकाम पाया है।

जिसे देता है हर व्यक्ति सम्मान,
जो करता है वीरों का निर्माण
जो बनाता है इंसान को इंसान,
ऐसे गुरु को हम करते हैं प्रणाम।

गुमनामी के अंधेरे में था,
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे,
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई,
गुरु ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया।

गुरु बिना ज्ञान कहां,
उसके ज्ञान का आदि न अंत यहां
गुरु ने दी शिक्षा जहां,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहां।

दिया ज्ञान का भण्डार हमें,
किया भविष्य के लिए तैयार हमें
हैं आभारी उन गुरुओं के हम,
जो किया कृतज्ञ अपार हमें।

जो बनाए हमें इंसान,
दे सही-गलत की पहचान,
उन शिक्षकों को प्रणाम,
दिलाया हमें भी सम्मान।

माता गुरु हैं,पिता भी गुरु हैं,
विद्यालय के अध्यापक भी गुरु हैं
जिससे भी कुछ सीखा है हमने,
हमारे लिए हर वो शख्स गुरु है।

गुरु तेरे उपकार का,
कैसे चुकाऊं मैं मोल
लाख कीमती धन भला,
गुरु हैं मेरे अनमोल।

आपसे ही सीखा,आपसे ही जाना,
आप ही को हमने गुरु है माना।
सीखा है सब कुछ आपसे हमने,
कलम का मतलब आपसे है जाना॥

परिचय-क्रिष बिस्वाल का साहित्यिक नाम `ओस` है। निवास महाराष्ट्र राज्य के जिला थाने स्थित शहर नवी मुंबई में है। जन्म १८ अगस्त २००६ में मुंबई में हुआ है। मुंबई स्थित अशासकीय विद्यालय में अध्ययनरत क्रिष की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति की भावना को विकसित करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैं। काव्य लेखन इनका शौक है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।’

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