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भाषा के प्रयोग में जागरुकता अत्यंत आवश्यक-प्रो. जगन्नाथन

हैदराबाद (तेलंगाना)।

आज के समय में भाषा के प्रयोग में अराजकता के लिए जागरुकता अत्यंत आवश्यक है। हिंदीतर विद्यार्थियों में ध्वनि, कारक, परसर्ग एवं पदबंध आदि की अनेक चुनौतियाँ हैं। ‘ने’ प्रयोग में प्रायः गलतियाँ की जाती हैं। पठन-पाठन, लेखन-बोधन एवं शोध अध्ययन-अध्यापन आदि में मानक व्याकरण अनिवार्य अंग है। निश्चय ही हमें मानक व्याकरण, मानक कोश, मानक पाठ्यक्रम और मानक पुस्तकों की आवश्यकता है।
वयोवृद्ध भाषाशास्त्री एवं अनेक पुस्तकों के लेखक प्रो. वी.रा. जगन्नाथन ने यह बात केंद्रीय हिंदी संस्‍थान (हैदराबाद), अंतर. सहयोग परिषद तथा विश्‍व हिंदी सचिवालय के तत्‍वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार की ओर से हिंदी शिक्षण विमर्श की श्रृंखला के अंतर्गत हिंदी शिक्षण-परिसंवाद ‘हिंदीतर विद्यार्थियों में हिंदी व्याकरण की चुनौतियाँ’ विषय पर परिसंवाद में कही। आरंभ में हिंदी परिवार के संयोजक डॉ. राजेश कुमार द्वारा विमर्श की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की गई। तदोपरांत संस्थान के दिल्ली केंद्र की प्रो. अपर्णा सारस्वत द्वारा विशिष्ट वक्ताओं और देश-विदेश से जुड़े सैकड़ों सुधी श्रोताओं तथा विद्यार्थियों का स्वागत किया गया। संचालन का दायित्व संभालते हुए संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने विद्वानों के समादर के साथ सर्वप्रथम प्रो. जगन्नाथन से मार्गदर्शन के आग्रह पश्चात सरदार पटेल महाविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्र को आमंत्रित किया। आपने कहा कि भाषा के मौखिक और लिखित रूप व्याकरण से आबद्ध हैं। हिंदी व्याकरण से संबंधित पुस्तकों के लेखकों में भी वैभिन्य परिलक्षित होता है। हमें मानक का ध्यान रखना चाहिए।
प्रो. एम. ज्ञानम, भुवनेश्वर से जुड़े अमूल्य कुमार महंती, महाराष्ट्र से जुड़े प्रकाश निर्मल, रेलवे बोर्ड के निदेशक (राजभाषा) डॉ. वरुण कुमार, मुंबई से जुड़ी तेलुगू-हिंदी विदुषी डॉ. लता तेजेश्वर रेणुका, जापान से जुड़े पद्मश्री डॉ. तोमियो मिजोकामि सहित हैदराबाद से जुड़ी प्रो.मणिक्यांबा, सिंगापुर से प्रो. संध्या सिंह, नाइजीरिया के छात्र अलहाज कादरे, तमिलनाडु के गुर्रम चक्रपाणि, श्रीनगर से जुड़ीं नसरीन अली ‘निधि’ एवं खाड़ी क्षेत्र से जुड़ी प्रो. उल्फ़त ने भी विभिन्न बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट किया।
केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) की निदेशक प्रो. बीना शर्मा ने कहा कि व्याकरण शिक्षण की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर समाधान देना परमावश्यक है।
प्रो. संध्या सिंह ने संयोजक डॉ. जवाहर कर्नावट, डॉ. रमेश यादव, माधुरी रामधारी, प्रो. विजय मिश्र सहित विशिष्ट वक्तावृंद तथा सुधी श्रोताओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।

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