कुल पृष्ठ दर्शन : 21

You are currently viewing मत कर अब तू टालम-टोल

मत कर अब तू टालम-टोल

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

झूठ-मूठ का रूठ-रूठ कर,
आँखें बनाता गोल-गोल।
गाल हाथ से थाम दोनों
अपना बस्ता अथर्व खोल…॥

घर-बाहर खेल रहे बच्चे,
उसको भी करना है खेल।
गृह कार्य से जान बचाता,
एसे तो होएगा फैल।
मम्मी उसे मनाती मेरा,
राजा बेटा तू अनमोल।
अपना बस्ता अथर्व खोल…॥

खेल-कूद भी है आवश्यक,
पढ़ना भी मानो तुम सार।
पुस्तक कलम से करो दोस्ती,
जीवन की न पढ़ेगी मार।
सब बच्चे पढ़ कर खेल रहे,
मत कर अब तू टालम-टोल।
अपना बस्ता अथर्व खोल…॥

समझ गया बातें मम्मी की,
पढ़ने लिए हुआ तैयार।
प्रथम कक्षा में अपनी आया,
खेल-कूद में भी हुश्यार।
पढ़ो खूब हिन्दी-अंग्रेजी,
गणित संस्कृत विज्ञान भूगोल।
अपना बस्ता अथर्व खोल…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।