सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)
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ख़ार बनो मत शूल बनो तुम,
मत काग़ज़ के फूल बनो तुम।
ले जाए हर आँधी जिसको,
हरगिज़ मत वो धूल बनो तुम॥
अपने पथ पर बढ़ते जाओ,
हर पल ऊपर चढ़ते जाओ।
होड़ करो मत औरों की बस,
हर शय के माक़ूल बनो तुम।
ख़ार बनो मत शूल बनो तुम…॥
काम करो तुम अच्छे जग में,
सबसे बनो तुम सच्चेे में।
चैन मिले जिससे हर दिल को,
बस ऐसा मामूल बनो तुम।
ख़ार बनो मत शूल बनो तुम…॥
कोई न समझे दानव तुमको,
सब समझें बस मानव तुमको।
दिल से चाहे तुमको हर इक,
कुछ ऐसे मक़बूल बनो तुम।
ख़ार बनो मत शूल बनो तुम…॥
ख़ार बनो मत शूल बनो तुम,
मत काग़ज़ के फूल बनो तुम।
ले जाए हर आँधी जिसको,
हरगिज़ मत वो धूल बनो तुम॥