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मनुष्य होना कवि होने से बड़ा

इंदौर।

मनुष्य होना कवि होने से बड़ा है। और निर्मल शर्मा एक बेहतरीन मनुष्य है जो एक ऐसे भारतीय समाज की परिकल्पना करते हैं, जो समता पर आधारित हो।
रविवार को जनवादी लेखक संघ इंदौर इकाई द्वारा मासिक रचना पाठ में वरिष्ठ कवि कृष्णकांत निलोसे ने इस बात को कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में रेखांकित किया। वे मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में निर्मल शर्मा एकाग्र में बोल रहे थे। कार्यक्रम का पहला सत्र निर्मल शर्मा एकाग्र के रूप में था जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवी और जन आंदोलनों के महत्वपूर्ण नाम निर्मल शर्मा को जनवादी लेखक संघ द्वारा सनत कुमार स्मृति सम्मान दिया गया। आरंभ में अतिथियों द्वारा डॉ. देवी प्रसाद मौर्य के विज्ञान आलेखों के संकलन ‘लहरीला है संसार हमारा’ (संकलन-डॉ. चारुशिला मौर्य) का लोकार्पण किया गया। जलेस इंदौर के सचिव प्रदीप कांत ने डॉ. सनत कुमार का परिचय देते हुए कहा कि, वे एक वैज्ञानिक और तार्किक भारतीय समाज की परिकल्पना करते थे और उसी के लिए जीवनभर दबे, कुचले और शोषित सर्वहारा वर्ग के पक्ष में संघर्षरत रहे। चयन समिति के अध्यक्ष सुरेश उपाध्याय ने सम्मान की घोषणा की। उन्होंने कहा कि निर्मल जी के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है। वैसे ही, जैसे हरि अनंत हरि कथा अनंता। सम्मान की प्रक्रिया के पश्चात जलेस अध्यक्ष रजनी रमन शर्मा ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि निर्मल शर्मा को सनत कुमार स्मृति सम्मान-२०२२ देते हुए संघ स्वयं सम्मानित और गौरवान्वित हुआ है।
सम्मानित व्यक्तित्व निर्मल जी ने अपने जीवन के बहुत से महत्वपूर्ण अनुभव सांझा किए। मुख्य अतिथि कथाकार प्रकाश कांत ने सनत जी और निर्मल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कहा कि, निर्मल शर्मा वह व्यक्तित्व है जो आपातकाल जैसे समय में भी दबे, कुचले और पिछड़े वर्ग के साथ मजबूती और आक्रामक रूप से खड़े नजर आते हैं।

सम्मान पत्र का वाचन विभा दुबे ने किया। दूसरे सत्र में प्रियंका कवीश्वर, शिरीन भावसार, स्वरांगी साने और ज्योति देशमुख आदि ने कविता पाठ किया। पहले सत्र का संचालन प्रदीप कांत और दूसरे का प्रदीप मिश्र ने किया। आभार देवेंद्र रिणवा ने माना।

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