गोपाल कौशल
नागदा (मध्यप्रदेश)
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गुलाल की बौछार,
पिचकारी की धार।
गुझिया की मिठास,
रिश्तों में भरे प्यारll
होलिका का संहार,
जीते प्रहलाद कुमार।
बुराई का होता अंत,
कहे होली का त्यौहारll
छाया रंगों का शुमार,
लाया प्रेम की फुहार।
बसंती टेसू-पलाश,
रंग का चढ़ा खुमारll
ढोल-मांदल बजे द्वार,
देने खुशियां अपार।
सदा मुस्कुराते रहो,
कहे होली का त्यौहारll
बहें भाईचारे की बयार,
मिसाल दे सारा संसार।
बस यही शुभकामनाएं,
गोपाल
की करो स्वीकारll