कुल पृष्ठ दर्शन : 210

You are currently viewing मन घूमता है

मन घूमता है

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

निहारिकाएं घूमती है,
मन घूमता है
और,
मुझे तेरे साथ घूमते बिताए क्षण
स्मृति स्थिर
सभी को,
घूमते घूरते देखती रहती है।

कुंजी लिए भटक रहे सभी,
ताले की तलाश में
काश मिल जाएं,
वो ताले
जिसमे बंद है,
चैन की संपदा।

सावन के अंधों को,
हरा-हरा दिखता है
मुझे तो पतझड़ में,
दिखने शुरू हुए
सभी गिरते हुए,
दिखते हैं।

पँख कतरने के,
शौक वाले
तितली नहीं,
वह बेटी है
दौड़ जाएगी अभी-अभी।

खूब लगाओ,
गगन में आग कहाँ लगती है।
तुम स्वयं जलोगे तब,
उसी अम्बर से
जल बरसेगा॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply