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महका यह चमन रखना

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’
बारां (राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

हर दिल को लगे प्यारी,भड़के नहीं चिंगारी,
आवाज यही देना,तू काम यही करना।
बदनाम नहीं होना,बदकाम नहीं करना,
हर दिल को लगे प्यारी…॥

नसीहत देने वाले,कई चेहरे मिलते हैं,
पलभर के लिए रुककर,कोई दर्द वो सुनते हैं
दुःख दूर करें ऐसे,यहाँ कम ही दिखते हैं,
जिसको तू निभा सके,बस वादा वही करना।
यह दुनिया हँसे तुझ पर,वह बात नहीं करना,
हर दिल को लगे प्यारी…॥

उस घर को जाना नहीं,जहाँ मिलता मान नहीं,
यदि तू अकेला हो,किस्मत को रोना नहीं
मेहनत रंग लाएगी,हिम्मत तू खोना नहीं,
मंजिल मिल जाएगी,सही राह पकड़ लेना।
किसी घर का बुझे दीपक,वह पाप नहीं करना,
हर दिल को लगे प्यारी…॥

खुशकिस्मत हैं हम तो,आजाद यह हिन्द मिला,
लहू अपना बहाने का,हमें अवसर नहीं मिला
इसे नमन करो मस्तक,चेहरा है हमारा खिला,
बस फर्ज यही अपना,महका यह चमन रखना।
दौलत के लिए यह वतन,नीलाम नहीं करना,
हर दिल को लगे प्यारी…॥

परिचय- गुरुदीन वर्मा का उपनाम जी आज़ाद है। सरकारी शिक्षक श्री वर्मा राजस्थान के सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा स्थित विद्यालय में पदस्थ हैं। स्थाई पता जिला-बारां (राजस्थान) है। आपकी शिक्षा स्नातक(बीए)व प्रशिक्षण (एसटीसी) है।इनकी रूचि शिक्षण,लेखन,संगीत व भ्रमण में है। साहित्यिक गतिविधि में सक्रिय जी आजाद अनेक साहित्य पटल पर ऑनलाइन काव्य पाठ कर चुके हैं तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्रकाशित पुस्तक ‘मेरी मुहब्बत’ साहित्य खाते में है तो कुछ पुस्तक प्रकाशन में हैं।

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