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महा दुर्ग चित्तौड़

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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मापनी आधारित एकलिंग छंद (दण्डक) विधान, रचनाशिल्प-४६ मात्रा, प्रति चरण ४ चरण, २-२ समतुकांत हो, १२, २४, ३५, ४६ वीं मात्रा पर यति अनिवार्य है। चरणांत गुरु (२) अनिवार्य है।

गुहिल वंश मेवाड़ी, लड़ते युद्ध अगाड़ी,
एक लिंग दरबान, मानते माँ धरती।

सिसोदिया कहलाए, जन मेवाड़ी भाए,
महा दुर्ग चित्तौड़, देख आँखें भरती।

योद्धा थे अलबेले, यौवन में रण खेले,
शत्रु गिरे रण खेत, सैन्य जय-जय बोले।

शक्ति-रीति जौहर के, नारी नर नाहर के,
‘विज्ञ’ रचे जब छंद, अश्रु भर दृग खोले।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।