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जीवन गीत

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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(रचनाशिल्प:१६/१४)
सब सम्भव है इस जीवन में,
जो चाहो हासिल कर लो।
रखो हौंसला मेरे साथी,
अपने वश मंजिल कर लो॥

कठिन राह पर चलकर देखो,
दुख में सुख मिल जाता है।
यहाँ मेहनत करने वाला,
जीवन गीत सुनाता है॥
धर्म मार्ग पर चलना सीखो,
कर्म ध्वजा शामिल कर लो।
रखो हौंसला मेरे साथी…

आसमान को छूना चाहो,
इसमें कोई बात नहीं।
उजियारे को ढँकने वाली,
ऐसी कोई रात नहीं॥
दूर अँधेरा करने को तुम,
ज्योति पुंज उज्वल कर लो।
रखो हौंसला मेरे साथी…

बिना कर्म फल मिलता है क्या,
आप हमें तो बतलाओ।
हिम्मत और लगन से अपनी,
प्रगति मार्ग को सिरजाओ॥
सब कुछ अपने हैं हाथों में,
मुश्किल को मुमकिन कर लो।

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