डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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चले जब मृदु पवन कांस फूल डोले वन वन,
पर्वत के ऊपर से श्वेत झरना बहे छम-छम
लगे जैसे शरद ऋतु उतरे हर आँगन,
हरसिंगार महक उठे प्रति क्षण।
महालया के पवित्र मंत्र मुग्ध कर दे हृदय को,
देवी के आगमन के मधुर गीत नभ में रस घोले
हँसी-खुशी के रंगों से भर जाए जीवन,
करे जब हम माता का सत्कार पूजा और अर्चन।
माँ आती है अपने मायके बस सिर्फ पांच दिनों के लिए,
साथ लाती है अपने दो प्यारी पुत्रियों लक्ष्मी और सरस्वती को
साथ में जब आते हैं दो सुपुत्र गणेश और कार्तिक,
तब देखते ही बनता है मायके वालों का जोश और उल्लास॥
रण में महिषासुर और असुरों का वध करके,
माँ शेरावाली अपने वाहन पर चढ़ के
आती है धरती पर संताप मिटाने,
भक्तों का दु:ख हरने, पीड़ा हरने।
ढाक की वह ढम-ढम दूर से ही सुनाई पड़ती है,
आरती में कांसर घंटा शंख ध्वनि की लंबी तान
जाग उठते हैं मन के सारे तार,
धूनुची नाच करके माँ को प्रणाम,
करते हैं हम सब उनका आदर सत्कार और दुलार।
षष्ठी से दशमी तक,
दुर्गा पूजा के यह पांच दिन
कैसे झट से बीत जाते हैं,
मन में रंग-बिरंगे फूल खिल जाते हैं।
तारों की तरह जगमग हो उठते हैं,
मन मतवाला आनंद से झूम उठे
चारों ओर खुशियाँ और प्रेम बिखेरे
उत्सव उत्साह और पूजा की धूम।
सबसे मिलने का एक अद्भुत संयोग,
हम भक्त माँ को लगाए प्रतिदिन भोग
नए वस्त्र भव्य पंडाल, नए रूपों में गरबा डांडिया,
मधुर गीत संगीत नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम हर रोज।
फिर दशमी के दिन देवी विसर्जन,
देवी वरण सिंदूर खेला के बाद मन बड़ा उदास
जैसे बेटी की विदाई वेला आती है, सोचकर,
वह वापस चली जाएगी फिर अपने घर।
एक वर्ष बाद फिर आएगी अपने माता-पिता के घर,
इसी आस में हम सपने संजोते हैं कि।
फिर करेंगे उनका लाड़-प्यार और दुलार,
विदा करते हैं हम माँ को खुशी-खुशी
मुंह मीठा करवा के अपने अश्रुओं को थाम॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।