कुल पृष्ठ दर्शन : 331

You are currently viewing माॅ॑ भारती

माॅ॑ भारती

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

जाग उठो भारत के वीरों,माॅ॑ भारती ने दी है पुकार,
बुला रही हैं भारत माता,होकर आईं शेर सवार।

आज्ञा दो हे माता,सब भारतीय आपके हैं चौकीदार,
सेवा में सदा तत्पर रहेंगे,सभी बने रहेंगे पहरेदार।

भारतीय हम सब,भारत माॅ॑ है,भारतीयता का नारा है,
तंत्र स्वदेशी मंत्र स्वदेशी भाव जगाना,धर्म हमारा है।

हम भारतवासियों से जो दुश्मन कभी भी टकराएगा,
धरा के बच्चे-बच्चे से लड़ के,वो चूर चूर हो जाएगा।

जितने भी वीर पुत्र,धरा की रक्षा करते शहीद हो गए।
उस कार्य को सभी पूर्ण करेंगे,जो कार्य सौंप गए।

हे माॅ॑ भारती,आपका पुत्र-बच्चा बच्चा राम है,
हे माॅ॑ भारती सेवा करना भारतीयों का काम है।

हे माॅ॑ भारती आप तो शेर की सवारी करती हो,
अपने पुत्रों को माॅ॑ शेरनी का ही दूध पिलाई हो।

जन्मदाता माता ने जन्म दे के,देश धर्म सिखलाया है,
इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है,गुरु तुल्य पाठ पढ़ाया है।

आजादी का तिरंगा ले के डटे रहूँगा,सीमा पर जा के,
आँखें दुश्मन की नोच लूंगा,जो ताकेगा धरा पे आ के।

निवेदन करती है ‘देवन्ती’,भारतीय हो सदा याद रखना,
धर्म स्वदेशी,भाव स्वदेशी,कर्म स्वदेशी,ही अपनाना॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

Leave a Reply