डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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जल जंगल जमीन,
धरा की शान है
इसके बिना सब कुछ,
नुकसान है।
मेघा पाटकर का निर्णय,
हर घर की शान है
राजघाट से प्रारंभ,
यह दाण्डी यात्रा के
बिल्कुल समान है।
यह जलभराव और,
मिट्टी की लवणता के
ख़िलाफ़ एक जन,
आंदोलन है
मिट्टी बचाओ अभियान,
ही बना कर रखा
जन-जन का सांख्य गान है।
मिट्टी मृदा भी,
कहलाती है
प्राणियों के जीवन का,
आधार बन कर
अपनी महत्ता बतलाती है।
मिट्टी का अद्भुत रंग है,
पेड़-पौधे का संपोषित करने वाला
दिखता इसका ढंग है,
कृषि का उद्गार
संग जीवन आधार है
मिट्टी के बिना,
अन्न जल बेकार है।
जीवन शक्ति का संचार व,
कान्तिमय स्वरूप का
सुन्दर प्रमाण है
संक्रमण से ग्रस्त लोगों को,
देता मजबूत त्रान है।
मिट्टी निर्माण की,
अद्भुत श्यामला पोषक है
जीवन में खुशहाली का,
सबसे सुखद अहसास संग
कहलाता सारवान है।
मिट्टी दी खुशबू हमें,
जीवन शैली की सुरक्षा के लिए,
सबसे मूल्यवान है॥
परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।