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मिलेगी मंज़िल, ले अगर ठान

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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नया है सफ़र नया है शहर,
नयी पहचान, नयी उड़ान
मिलेगी मंज़िल तू ले अगर ठान,
हर कदम पर मिलेंगे काँटे हज़ार।

हिम्मत मत हार हो जा तैयार,
साथ देगा स्वयं का विवेक
ये जीवन है महासंग्राम,
देकर जाएंगे बेहतर अंजाम।

लोग उलझाएंगे पल-पल,
हर ओर चाटुकार और सलाहकार
लेना है तुझे निर्णय सोच-समझकर,
हर दाँव तू खेल बहुत संभलकर।

निष्ठा और ईमानदारी से कर्म कर,
फल की चिंता नाहक करना
हर कर्म को गंभीरता से करे तो,
विजय पताका खुद फहरेगी।

जीवन है खतरों का खेल,
रूपयों की मची है रेलम-पेल
रिश्तों का लोग न समझें मोल,
छोटी-छोटी उलझनों में हैं गोल।

ना लेकर आए थे, न लेकर जाएंगे,
बोझ से भरी गठरी इस दुनिया से।
स्वभाव और चरित्र ही इंसान के रह,
जाते हैं इस धरती पर रत्न अनमोल॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।